Thursday 27 June 2013

Raahat-Floods IITB

Dear Firends,

   It's the time to give back to our Nation. We are all know about the horrible and devastating floods occurred in Uttarakhand and Himachal Pradesh. Everybody must have thought of helping in any possible way. Here is a opportunity for you to help them by donating any of the following essential material.

Material to Donate:

. Buckets
. Umbrellas
. Old flex banners, mats.
. Blankets and woolens
. Candles, lanterns, Torch and batteries
. Tarpaulins
. Rope
. Mosquito nets
. Cooking utensils
. Basic medicines,water purifier tablets,
. Crutches
. Feeding bottles

You can drop in the places listed in below page,
from thursday to sunday morning

check Places to Drop the Material and you can provide your donation money to your hostel representative as in the list given: 


How this material reaches needy?
we are working with Goonj organization. we will drop the collected material in thane, Goonj Mumbai branch.Funds which will be collected will also be sent to Gunj which will be spent for the same purpose. They will take the material from thane to uttarakhand and distribute to required persons.You can check the updates of collection in the web page mentioned above,

you can check the details of Goonj here :

Contact us if you have any doubt:
Rajesh Nakka,09757191378.
Vishal Insan,08879346174.

-Thank you,

Sunday 23 June 2013

सुर्खियाँ !!!

रचना- स्पर्श चौधरी

इन दिनों  क्रिकेट में राजनीति हो रही है और राजनीति में क्रिकेट भी खेला जा रहा है !! आई.पी.एल. स्पॉट फिक्सिंग मामले में बी.सी.सी.आई. प्रमुख श्रीनिवासन पर मीडिया के आरोप –प्रत्यारोपों का दौर खूब चला पर जी  वो तो बिलकुल दूध की तरह उजले  हैं !! कहते हैं वो नही जानते थे कि उनके दामाद इस में लिप्त थे ! कितने महान हैं ये आजकल के ज़माने में ..ससुर जी तो आका हैं और फिर भी दामाद जी  के कारनामों की इन्हें कानों कान खबर तक नही हुई !! और फिर काफी ना-नुकुर के बाद आखिर डालमिया मियाँ के हाथों में अंतरिम रूप से बी.सी.सी. आई. की कमान सौंप दी गयी .आगे का तो खैर क्या है .क़ानून अपनी गति से काम कर रहा है .पर यहाँ मुद्दा इस क्रिकेट के खेल के गलियारों में खेले जा रहे शर्मनाक खेलों का है .क्या कभी ऐसा नही हो सकता कि माना कि इस्तीफ़ा देने  से कुछ नही होता पर नैतिक ज़िम्मेदारी लेते हुए प्रक्रिया को आगे बढ़ने दिया जाता! और वैसे भी अगर मि.श्रीनिवासन आप इतने ही पाक थे तो क्या आप भूल गये हैं कि कुछ वर्षों पहले हुए ऐसे ही एक मामले में आपने अपने पद और रुतबे का कैसे फायदा उठाया था ?अब आप लोगों का मुँह ना ही खुलवाएँ तो बेहतर होगा !! इस नौटंकी के बाद डालमिया जी की रूल बुक पर नज़र पड़ी तो कुछ तो ठीक होता नज़र आया .अल्लाह करे वाकई में यह खेल जो देश में इस कदर दीवानगी से छाया हुआ है आगे कलंकित न हो !!
अगली सुर्खी थी ...बी.जे.पी  केबुज़ुर्ग पर अभी भी सशक्त आडवाणी जी की नाराजगी ,उनका त्यागपत्र देना फिर आर.एस.एस.प्रमुख केसमझानेपर मान जाना और आगेनीतीश के 17 बरस केसम्बन्ध-विच्छेद(अखबारोंमें -१७ बरस बाद कानूनी तलाक़ –पढ़कर चेहरेपर मुस्कान आ गयी ) का नाटकीय घटनाक्रम ! वैसेअब आडवाणी जी की उम्र हो गयी भाई ...और समय के साथ बदलाव आवश्यक है .अनुभव के लिए तो आप वैसे भी रहेंगे –बिना आपके वरदहस्त के कैसे काम चलेगा ! यहाँ मोदी या आडवाणीजी का सवाल नही है न ही किसी का पक्षपात होना चाहिए .सवाल देश को एक अच्छा नेतृत्व देने का है और प्रधानमन्त्री पद के लिए भाजपा में मोदी ही तुलनात्मक रूप से सबसे सही विकल्प हैं .अब वो अलग विषय है चूँकि अब अन्दर की बात का तो हम आप ज्यादा नही जानते पर आडवाणी जी की नाराजगी और आगे हुए घटनाक्रमों से अंततः पार्टी का ही घाटा होना है . पर एक और बात थी जो यह कि चाहे कुछ भी हो जाये बुज़ुर्ग का असम्मान कभी नहीं करना चाहिए! और अब ये तो व्यक्तिगत वैमनस्य या फिर कुछ और ये तो नीतीश जी ही जानें पर फिर से कहीं वह न हो जाये जो अभी तक होता आया है (2014 के आगामी चुनावों के सन्दर्भ में ).भुगतेंगे तो वैसे भी हर हाल  में हम आम लोग ही !
तीसरी घटना जो कुछ नयी नही थी पर ज्यादा बड़ा धमाका कर गयी ! छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खूनी उपद्रव की ! नक्सलवाद की समस्या बिलकुल नयी नही हैपर सरकार की नक्सलियों के आक्रोश को समाप्त करनेऔर स्थिति को काबू में करने के तरीकों पर संदेह और पुख्ता हो चुका हैऔर वैसेभी चिड़िया तो कब से खेत चुगने में व्यस्त हैपर हम बस पछतातेही रहते हैं और उलटे हिंसा का जवाब बस हिंसा सेही देना चाहते हैं !!

वैसे अभी हाल ही में ऐसे ही एक त्रासदी हमारेएक और राज्य को झेलनी पड़ी.प्रकृति का यह  प्रकोप और विनाशलीला बहुत कुछ तो मानव निर्मित हैऔर कोई आश्चर्य की बात नही हैकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 2011 मेंही गंगोत्री –उत्तरकाशी मार्ग को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित करनेकेआदेशोंका पालन राज्य सरकार और ब्यूरोक्रेट्स नेबड़ी ढिठाई से नही किया और वजह कि इससे पर्यटन और औद्योगिक विकास रुकेगा ! वाह ! विकास के इस जाप में ये यह भी भूल गये कि इस तरह वन क्षेत्र के तेज़ी से साफ़ होने के कारण हम प्रकति के संतुलन को बिगाड़ रहे हैं !और तो और क्षेत्र के अधिकारी न ही आपदा प्रबंधन में दक्ष हैं  और न ही संवेदनशील !नदियों के किनारों पर पूरा रिहायशी इलाका होना ,होटल ,पर्यटन उद्योग मानों इस त्रासदी की ओर भयावह संकेत काफी समय से कर ही रहे थे ! इतना ही नही आपदा के बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा तब जाकर हैलीकॉप्टर बढे हैं तभी तो अभी भी हज़ारों लोग फँसे हुए हैं ! बेहद तकलीफदेह बात है कि जहाँ हमारा मन बस टीवी देख के दहल रहा है वहीँ कर्ता-धर्ता अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के चक्कर में हजारों लोगों की जानें  जोखिम में डाल देते हैं !!

अब सबसे बड़ा सवाल हैकि क्या इस घटना सेभी हम कुछ सीखेंगे या अन्य मामलों की तरह कुछ नही होने वाला ! क्या प्रधानमन्त्री आपदा कोष के 1000 करोड़ (बाकी अन्य निजी और राज्यों की सहायताओं को अलग रखें तब भी ) सच में ऐसे मौसम और सभी संभावित आपदाओं की पूर्व चेतावनियों और पूर्व तैयारियों के लिए ज़रूरी संसाधन जुटाने में काम आयेंगे ताकि ऐसी भयानक घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो –इसके पुख्ता प्रबंध किये जाएँ !

आखिर सरकारों  ,उद्योगपतियों  और ऐसे क्षेत्रों में व्यवसाय के लालच में प्रकृति के साथ खिलवाड़ करके खुद के साथ हज़ारों जिंदगियों को तहस-नहस करने वालों को यह समझना होगा !सबकी सामूहिक साझेदारी और संवेदनशीलता से ऐसी आपदाएं रोकी भी जा सकती हैं और आपदा राहत के लिए पूरी तैयारी भी की जा सकती है .यही बात नक्सलवाद से निपटने के लिए भी लागू होती है कि सही रणनीति और नज़रिए के साथ हम काम करें .उनके हैवानी रवैये का जवाब हमें सोच समझ कर देना होगा पर स्थति को नियंत्रण में रखना होगा क्यूंकि अंततः यह  देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है .अगर अब नही तो देश में हो रहे अराजकता ,पाशविकता ,सरकार की अकर्मण्यता ,मानव की असंवेदनशीलता का तांडव अनंतकाल तक ज़ारी रहेगा !

Wednesday 12 June 2013

बाल मजदूर

एक गुजारिश , एक विनती 
दोस्तों आगे चलकर हम सब काफी कुछ अपने और अपने परिवार के लिए करने वाले हैं, इसमे कोई दो राये नही ! मैं आप सब लोगो से  एक विनती करना चाहता हूँ या फिर ये समझ लो की आपसे एक प्रतिज्ञा एक सपथ लेना चाहता हूँ ! मैं चाहता हूँ की हम सब कम से कम एक ऐसे बच्चे का ज़िम्मा लेंगे जो गरीब है और पढ़ाई नही कर सकता ! ज्यादा नहीं सिर्फ एक ऐसा बच्चा, जिसकी पढाई-लिखाई, कपडे, खाने-पीने, रहने-सहने के उपर आप अपनी कमाई में से उस पर खर्च करेंगे ! क्या कर सकते हैं आप ऐसा ???